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अब पहाँ लगते छुटी जाती तुरान सुखी रहा है
सुखी है चपचपना रहा है तकर आई मां दोली पिस्टिक पनी गीली लगा इलेओ तो दिन बरी गील लगाते हैं
अब जानका ख़गई फालों ते कौछों नहीं लगाते हैं
मुझे नहीं होता है नहीं है
इसके बारे में प्रेशा नहीं लगता है